हिंदी में दहेज ,तो उर्दू में जहेज़ कहते है घृणित रीत है ये ऐसी,जिसमे बाप अपनी बेटे को बेच देते है। रीत है ये ऐसी,बेटी भी जाती है और पैसे भी जाते है न जाने बेटी वाले ये कैसी सजा पाते है करनी होती है बरसात पैसो की,तभी तो उठती है डोली एक लड़की की जाती है जब लड़की के पिता की जिंदगी की कमाई तब होती है, एक लड़की की विदाई लेने वाले की गर्दन है उठती,देने वालों की गर्दन है झुकती ये रीत है कैसी?आजतक मैं समझ न सकी दहेज लेने के बाद भी कुछ भुखों का पेट नही भरता घरेलू हिँसा और बहू को जिन्दा जला देंना भी उन्हें बिलकुल नही अखरता बेबसी नही समझते वो दानव, उस बाप की जिसने आग से झुलसी बेटी को फिर से एकबार आग दी कई कानून बने,कई बदलाव भी आये पर दहेज न ले,और न दे,ऐसे हालात न आये धारा304,406,498 भी हुए लागू पर दहेज लोभी अपने लोभ पर क्ऱ न सके काबू न जाने दहेज रूपी दानव की प्यास कब बुझेगी? कब शादी की पवित्र अग्नि में,इंसानियत नही दानवता जलेगी? #stopdowry#nojoto#nojotoहिन्दी ਅਨੁਪਮਾ ਵਰਮਾ