तलाश तो उस चिंगारी की है, भनक जिसकी चिराग को न थी। तोहफे सजे थे उसके इंतजार में, तजुर्मा जिनकी सियासत में न थी। सूख गये वो लचीले साख भी, नियत में मिलावट की खुराक न थी। रिआयत ले उड़ गयी उनकी हवाएं, नाच का ठीकरा नसीहत न थी। #तलाश #पार्ट-2 #हिन्दी #शायरी #कविता ।