ये हाथों की मेहंदी आज भी वैसी ही गहरी सी आई है जैसे तुम्हारे रहते आया करती थी अब ये क्या बयां कर रही है क्या तुम्हें अब भी हम से प्रेम है या ये प्रेम कहीं और पनप रही है..! P@ll@vi #सावन #रेस्ट्जोन #myquote #mythoughts