माथे मा टिकली आंखी मा काजर मुंहु मा लाली लगाथव मैं । कोन जनी का जादू डारे तुहिच ला सोरियायँव में। तुही ला तो मैं जिनगी के आधार माने हँव। संग तोर जीहूँ संग तोर मरहूँ जिनगी भर के सपना देखे हँव। तोरेच नाव के चूरी अउ तोर नाव के खिनवा पहिरहूँ मैं। मोर जिनगानी तोर नाव हे सवाँगा तोरेच बर करहुं मैं। सुख मा भले पिछवा रहूँ दुख मा अगवा रइहूँ मैं । बिपत परे मा संग रइहूँ नई छोड़व अकेल्ला मैं । तिहिच हरस मोर आधार मन मा होगे हे बिसवास नई हे कोनो संगी जहुँरिया झन टोरबे मोर तै आस । रचनाकार योगिता साहू ग्राम _चोरभट्ठी, पोस्ट_ बगोद जिला_ धमतरी, छत्तीसगढ़ ©Yogita Sahu माथे मा टिकली आंखी मा काजर मुंहु मा लाली लगाथव मैं । कोन जनी का जादू डारे तुहिच ला सोरियायँव में। तुही ला तो मैं जिनगी के आधार माने हँव। संग तोर जीहूँ संग तोर मरहूँ