मर्ज़ी हमारी होती तो दूरी की कोई गुंजाइश ना होती, तुझे नज़रों से भी दूर ना करतें कभी, दूरी तो फिर दूर की बात रही। हाथ में क्या है मेरे? तुच्छ सा इंसान हूं मैं, मेरी हर हरकत की डोर को ऊपर वाले ने संभाल रखा है।