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कभी -कभी ही हवा जैसे तूफां होती, बालने,जलाने, बुझा

कभी -कभी ही हवा जैसे तूफां होती,
बालने,जलाने, बुझाने का सामां होती ।
अक्सर होती है हवा लौ को संजीवनी,
जीवन आक्सीजन,जिंदगी आसां होती।
ये जो लो, पर हुए हैं चींटी के, संजीदा हो,
चींटी मिट जानी कि खुद में नादां होती।

©BANDHETIYA OFFICIAL
  #चींटी के पर!

#चींटी के पर! #समाज

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