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एक परिंदा रोज टकराता है मेरे घर की खिड़कियों के शी

एक परिंदा रोज टकराता है मेरे घर की खिड़कियों के शीशे से,
जरूर इस इमारत की जगह कभी कोई दरख़्त रहा होगा
- अज्ञात #nojoto #hindi #nojotohindi #hindipoetry #anonymous #thought
एक परिंदा रोज टकराता है मेरे घर की खिड़कियों के शीशे से,
जरूर इस इमारत की जगह कभी कोई दरख़्त रहा होगा
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gauravsinha2885

Gaurav Sinha

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