हवाओं ने अपना रुख बदला है फिर भी शामयाने में उदासी छाई सी है, मौसम भी सर्द से बसंत हुआ है फिर भी पेड़ो की पत्तियाँ मुरझायी सी हैं, अब तो पतझड़ भी गया नए फूल आ गए हैं फिर भी न जाने क्यों उसकी अगुवाई सी है, जिंदगी में खुशियाँ वहुत सी हैं फिर भी ग़मों की इक परछायी सी है। devbrat#35