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रोने के लिए दिल को कब बहाना चाहिए, एक यादों की हवा

रोने के लिए दिल को कब बहाना चाहिए,
एक यादों की हवा चली और अश्क़ बह जाते हैं...

रोने के लिए कब ढूँढता है ये दिल कोई वजह,
बस शब्द का एक तीर चुभ नदिया बह उठता है...

दिल नाजुक किसी शीशे सा बनाया है उसने,
रो पड़ता है जब किसी का कहा इसे तोड़ देता है...

रोने के लिए कारण तो हजार हों फिर भी,
दिल कहाँ और कब जी भरकर रो पाता है.. 

कोई सामने हो तो अश्को को छुपा लिया करते हैं, 
रोना चाहो तो भी रोने को कहाँ कंधा मिल पाता है...

आंखें तो हैं ही एक लबालब पानी से भरा दरिया,
कोई कहे इस पानी को मोती ये तब भी तो बह जाता है। 

©सखी #cry #अश्क़ #मोती #पानी #दिल #निगाहें
रोने के लिए दिल को कब बहाना चाहिए,
एक यादों की हवा चली और अश्क़ बह जाते हैं...

रोने के लिए कब ढूँढता है ये दिल कोई वजह,
बस शब्द का एक तीर चुभ नदिया बह उठता है...

दिल नाजुक किसी शीशे सा बनाया है उसने,
रो पड़ता है जब किसी का कहा इसे तोड़ देता है...

रोने के लिए कारण तो हजार हों फिर भी,
दिल कहाँ और कब जी भरकर रो पाता है.. 

कोई सामने हो तो अश्को को छुपा लिया करते हैं, 
रोना चाहो तो भी रोने को कहाँ कंधा मिल पाता है...

आंखें तो हैं ही एक लबालब पानी से भरा दरिया,
कोई कहे इस पानी को मोती ये तब भी तो बह जाता है। 

©सखी #cry #अश्क़ #मोती #पानी #दिल #निगाहें