जब तक चलता है तो चलते जाना है, अंत समय में रघुबर नाम ठिकाना है, करलो मन की ख़्वाहिशात पूरी अब में, चले न आख़िर वक़्त में कोई बहाना है, करो परिश्रम जन-जीवन हो संरक्षित, पतझर में भी सुंदर फूल खिलाना है, इम्तिहान की घड़ी अचानक आएगी, डरना क्या?जब तेरे पास खज़ाना है, लिख डालो पटकथा सफलता की यारों, प्रेम की धुन पर गीत शांति के गाना है, मतलब के साथी हैं सारी दुनिया में, कोई नहीं अपना ये जग बेगाना है, करो प्रकट आभार प्रेम का जीवन में, चंद दिनों का 'गुंजन' ताना-बाना है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #चलते जाना है#