कभी-कभी रात अश्क़ों से गीली हो जाती है बादलों की चादर तले कुछ सिसकियां दब जातीं है पल, पल बीतता है झिलमिलाते सितारों के बीच पसरी है चांदनी हर पहर जिस छोर तलक नज़र जाती है किस्स-ए-पारीन गुज़रतें हैं तन्हां निगाहों से मिराज सी रस्में-ए-उल्फ़त यहां हीं क्यो नसीब हो जातीं हैं #nojoto #अश्क़ #किस्स-ए-पारीन #रस्में-ए-उल्फ़त #मिराज #सिसकियां #रात