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दिल और जान से ज्यादा चाहा है उनको, अपने दिल में ही

दिल और जान से ज्यादा चाहा है उनको,
अपने दिल में ही बिठाया है उनको,
वो क्या सोचते हैं इसकी फिकर नहीं हमें,
बस अपना बना बैठा हूं मैं उनको...! बस अपना बना बैठा हूं मैं उनको...!
दिल और जान से ज्यादा चाहा है उनको,
अपने दिल में ही बिठाया है उनको,
वो क्या सोचते हैं इसकी फिकर नहीं हमें,
बस अपना बना बैठा हूं मैं उनको...! बस अपना बना बैठा हूं मैं उनको...!