अफसोस को भी अफसोस हो जाए इस तरह की है शकसियत मेरी रूह में तो वो बस गई पर उसको हम पा ना सके जान जान कहते जिनको ना थका करती थी जुबां कभी हमारी आज हम उन्हीं के लिए एक बीता कल एक अफसोस बन गए । 😭😭😭😭