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काट कर अपने हिस्से की, जो हम सबका पेट भरते हैं, दि

काट कर अपने हिस्से की, जो हम सबका पेट भरते हैं,
दिन-रात जो अपने  परिवारों के लिए  मेहनत करते हैं।

ना कभी छुट्टी ना त्योहार, ना मायूसी कभी दिखलाते हैं,
आसमान से भी ऊँचा होता, वो हमारे पिता कहलाते हैं।

चाहे जितने भी  कोई करे मदद, वो पिता नहीं हो सकते,
सात जन्मों  तक भी हम उन्हें, हरगिज़ नहीं  खो सकते।  📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-62 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
काट कर अपने हिस्से की, जो हम सबका पेट भरते हैं,
दिन-रात जो अपने  परिवारों के लिए  मेहनत करते हैं।

ना कभी छुट्टी ना त्योहार, ना मायूसी कभी दिखलाते हैं,
आसमान से भी ऊँचा होता, वो हमारे पिता कहलाते हैं।

चाहे जितने भी  कोई करे मदद, वो पिता नहीं हो सकते,
सात जन्मों  तक भी हम उन्हें, हरगिज़ नहीं  खो सकते।  📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

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🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-62 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।