अपने ही मुल्क से वफादारी का हमनें यूं सजा पाई है जवां बेटे की मय्यत को आज बुढ़े बाप ने उठाई है पल भर में फरामोश कारा दी गई वो सारी कहानियां जीन के हर एक पन्ने बयां कर रही थी हमारी कुर्बानियां बड़े अजीब मुगालते में रहते हैं मुखालीफीन हमारे वो सोचते हैं हम ऐसे ही मिट जाएंगे बस दो, चार को मारे एहसास यूं दिलाते रहते हैं वो हर एक बात पे मानों हिन्द में रहते हैं हम उनकी खैरात पे माना कि उन को है वक्त के बादशाह का साथ तो जान लो ये भी,होती नहीं बड़ी लम्बी जुल्मात की रात एक दर्द जिसे महसूस करना बहुत ज़रूरी है #JusticeForTabrez #StopMobLynching