स्वर्ग अब तुम अपना स्वर्ग अपने पास रखो | मुझे अब तुम्हारे स्वर्ग की अभिलाषा नहीं | मैं अब खुद बनाउगा अपना स्वर्ग जहाँ छल से अमृत अपनाने वाले देवता ही नहीं रोते, चिखते ,दुविधाअॊ से घिरे मनुष्य भी हो .... जिनके सहारे ही तुम्हारे नाम की प्रशंसा होती रही है ||| ये कैसा प्रेम है जहाँ तुम्हारे आगे आत्म - समर्पण के बाद ही तुम अपनाते हो लाचार मनुष्यॊ को ||| इसलिए अब नए स्वर्ग की जरूरत है जहाँ हर मनुष्य थोड़े - से सुख का भागी हो ||| ©पूर्वार्थ #स्वर्ग