फूलों की तरह खिल कर देखो। तुम घर से बाहर निकल कर देखो। यहां लड़खड़ा ने से कुछ नहीं होगा खुद इस जमाने में चल कर देखो। नफरत करता है तो करने दो उसे तुम वफा की आग में जलकर देखो। खुद की बुराई दिखती कहा है हमें आईने ने कहा खुद से मिल कर देखो। ठोकरें हजारों हैं इस जहां में मगर खुद से खुद को संभल कर देखो ©sanjay kushekar #sanjay #gajhal