जब मन में हो मौज बहारों की चमकाएँ चमक सितारों की, जब ख़ुशियों के शुभ घेरे हों तन्हाई में भी मेले हों, आनंद की आभा होती है *उस रोज़ ‘दिवाली’ होती है ।* जब प्रेम के दीपक जलते हों सपने जब सच में बदलते हों, मन में हो मधुरता भावों की जब लहके फ़सलें चावों की, उत्साह की आभा होती है *उस रोज़ दिवाली होती है ।* जब प्रेम से मीत बुलाते हों दुश्मन भी गले लगाते हों, जब कहींं किसी से वैर न हो सब अपने हों, कोई ग़ैर न हो, अपनत्व की आभा होती है *उस रोज़ दिवाली होती है ।* जब तन-मन-जीवन सज जाएं सद्-भाव के बाजे बज जाएं, महकाए ख़ुशबू ख़ुशियों की मुस्काएं चंदनिया सुधियों की, तृप्ति की आभा होती है *उस रोज़ ‘दिवाली’ होती है .*। – ©S Talks with Shubham Kumar जब मन में हो मौज बहारों की #Diwali