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ना बुरा मानता हूं,ना तुम्हें जानता हूं अब उससे क्य

ना बुरा मानता हूं,ना तुम्हें जानता हूं
अब उससे क्या शिकायत,जिसे हवा मानता हूं

होकर भी नहीं मुझमें,कुछ ऐसे तुम जुड़ी हो
दूर ढूंढ़ती हैं तुमको नज़रें,नज़दीक तुम खड़ी हो

कोई बात नहीं है समझता,कोई हालात नहीं है समझता
अब उससे क्या कहूं मैं,जो जज़्बात नहीं है समझता

अगर सिर्फ़ ख़्वाब होते,तो और बात होती
उन ख्वाहिशों का क्या करूं मैं,जिन्हें इल्तिजा मानता हूं

ज़माने की हर ख़ुशी पर,एक तेरी कमी है भारी
उसे कैसे भूल जाऊँ,जिसे ख़ुदा मानता हूं

उस दर्द से क्या कहूं मैं,जो हमें अपनों से मिला है
अपनों से मिले ज़हर को,अब दवा मानता हूं...
*इल्तिजा - प्रार्थना, निवेदन
 © abhishek trehan

 #manawoawaratha #abhishektrehan #ishq #dard #shikyat #poetry #shyari #yqdidi
ना बुरा मानता हूं,ना तुम्हें जानता हूं
अब उससे क्या शिकायत,जिसे हवा मानता हूं

होकर भी नहीं मुझमें,कुछ ऐसे तुम जुड़ी हो
दूर ढूंढ़ती हैं तुमको नज़रें,नज़दीक तुम खड़ी हो

कोई बात नहीं है समझता,कोई हालात नहीं है समझता
अब उससे क्या कहूं मैं,जो जज़्बात नहीं है समझता

अगर सिर्फ़ ख़्वाब होते,तो और बात होती
उन ख्वाहिशों का क्या करूं मैं,जिन्हें इल्तिजा मानता हूं

ज़माने की हर ख़ुशी पर,एक तेरी कमी है भारी
उसे कैसे भूल जाऊँ,जिसे ख़ुदा मानता हूं

उस दर्द से क्या कहूं मैं,जो हमें अपनों से मिला है
अपनों से मिले ज़हर को,अब दवा मानता हूं...
*इल्तिजा - प्रार्थना, निवेदन
 © abhishek trehan

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