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ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है.. अल्लाह बो

ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है..
अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है!

कुछ अनुभव..कुछ संभावित ये उपचार होते है..
दोस्त! यहां दो और दो चार नहीं होते है!
जान बचाना बाए हाथ चमत्कार थोड़ी है..
मशगूल ये हाथ..कभी हमारे अपने भी खो देती है।
ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है..
अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है!

दर्द से वाकिफ हम भी..यहां रोज होते है..
बेबाक बने नैन..बस रोने को आंसू नहीं होते है!
लाचार आंखे.. लथपथ खून.. चिंखो से शामे होती है..
एक रात गुजार के देख.. यहां सवेरे नहीं होते है!

इल्तेज़ा बस इतनी तुजसे..है इन्सान हम भी..
आसान नहीं.. बचाना एक नन्ही सी जान भी..
शिफा तो खुदा की! बस मेरे प्रयास होते है..
ना लिहाज..ना लहेजा..क्यो मारने को तेरे हाथ होते है?

डर है..अब एक दिन हम भी कतराएंगे..
जब खो देंगे हमें.. क्या पाएंगे..क्या गवाएंगे..
ज़हेनसीब में.. वाह! मेरा पेशा क्या इंसानियत बोती हैं..
जान के बदले जान..ये अंकीत हमारी किमत होती है!

ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है..
अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है!

©Dr. Ankit waghela #सफेदी #PoetryUnplugged
ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है..
अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है!

कुछ अनुभव..कुछ संभावित ये उपचार होते है..
दोस्त! यहां दो और दो चार नहीं होते है!
जान बचाना बाए हाथ चमत्कार थोड़ी है..
मशगूल ये हाथ..कभी हमारे अपने भी खो देती है।
ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है..
अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है!

दर्द से वाकिफ हम भी..यहां रोज होते है..
बेबाक बने नैन..बस रोने को आंसू नहीं होते है!
लाचार आंखे.. लथपथ खून.. चिंखो से शामे होती है..
एक रात गुजार के देख.. यहां सवेरे नहीं होते है!

इल्तेज़ा बस इतनी तुजसे..है इन्सान हम भी..
आसान नहीं.. बचाना एक नन्ही सी जान भी..
शिफा तो खुदा की! बस मेरे प्रयास होते है..
ना लिहाज..ना लहेजा..क्यो मारने को तेरे हाथ होते है?

डर है..अब एक दिन हम भी कतराएंगे..
जब खो देंगे हमें.. क्या पाएंगे..क्या गवाएंगे..
ज़हेनसीब में.. वाह! मेरा पेशा क्या इंसानियत बोती हैं..
जान के बदले जान..ये अंकीत हमारी किमत होती है!

ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है..
अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है!

©Dr. Ankit waghela #सफेदी #PoetryUnplugged