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यूँ हीं नहीं मुक्कदर मेरा मर रहा था वो कहाँ तुमसे

यूँ हीं नहीं मुक्कदर मेरा मर रहा था
वो कहाँ तुमसे आगे निकलने की कर रहा था।
अख्ज मुकर्रर किया गया मुकद्दर मेरा 
अदीबों का अदम प्रेम था जो बरस रहा था
अबद के अब्र छा रहे थे चारो तरफ
तब भी अपनी किस्मत के अश्क से
तुम्हारी तकदीर की मिन्नत मसक्कत कर रहा था।।

  अख्ज ...लोभी
अदीबों... विद्वान
अदम...आभाव या शून्य
अबद...अनन्तकाल
अब्र..बादल
यूँ हीं नहीं मुक्कदर मेरा मर रहा था
वो कहाँ तुमसे आगे निकलने की कर रहा था।
अख्ज मुकर्रर किया गया मुकद्दर मेरा 
अदीबों का अदम प्रेम था जो बरस रहा था
अबद के अब्र छा रहे थे चारो तरफ
तब भी अपनी किस्मत के अश्क से
तुम्हारी तकदीर की मिन्नत मसक्कत कर रहा था।।

  अख्ज ...लोभी
अदीबों... विद्वान
अदम...आभाव या शून्य
अबद...अनन्तकाल
अब्र..बादल
tarunmadhukar6794

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