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DeenDayalUpadhyay, यहाँ भारत में ज़िंदा रह कर के मर

DeenDayalUpadhyay, यहाँ भारत में ज़िंदा रह कर के मरने आया था
मैं यहां पर ये ही करने आया था

ज़िन्दगी  एक  जुर्माना  थी  मेरी
मैं  ये  जुर्माना  भरने  आया था

ये  दुनिया देख लो तो लगता है
आदमी  घास  चरने  आया  था

मुझे सूली  चढ़ा  कर  भूल गए
मैं  वहाँ  से  उतरने  आया  था

मैं तो आईना हूँ, मैं  दुनिया में
टूट  कर  बिखरने  आया  था
DeenDayalUpadhyay, यहाँ भारत में ज़िंदा रह कर के मरने आया था
मैं यहां पर ये ही करने आया था

ज़िन्दगी  एक  जुर्माना  थी  मेरी
मैं  ये  जुर्माना  भरने  आया था

ये  दुनिया देख लो तो लगता है
आदमी  घास  चरने  आया  था

मुझे सूली  चढ़ा  कर  भूल गए
मैं  वहाँ  से  उतरने  आया  था

मैं तो आईना हूँ, मैं  दुनिया में
टूट  कर  बिखरने  आया  था