अक्सर पन्नों में बयां दर्द को लोग फाड़ कर फेंक दिया करतें हैं, क्योंकि उनकी कलम और उनकी मन, तेज धार की तरह होते है जो पन्नों पर बेझिझक अंकित हो जाते है, लेकिन अफसोस उनकी जुबान संस्कारों की बेड़ियों से जकड़े होते है और वो ज़ुबानी जंग करने से डरते है, क्योंकि आगे हमेशा की तरह अपने ही खड़े मिलते हैं। ©rashmi singh raghuvanshi #ज़ुबानी जंग