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सर्द हवा और लहराते सरसों के खेत , अरे! गरीबी में

सर्द हवा और लहराते सरसों के खेत ,
अरे!  गरीबी में जाने कैसे पलते हैं पेट।

लूट गए हम कि दिन रात होंगे एक,
खुशबू एक है हमारा वतन है एक।

हमें मुकद्दस ना कर पाया गंगा का भी अभिषेक
नाम के रखवाले चेहरे के दिल में है भारी खोट।

आजाद नही हैं और ना ही अभी लब हैं एक,
सदियों से भारत दे विश्व को बुद्ध का शांति सन्देश।

©Siddharth kushwaha #world #बुद्ध_के_विचार #शांति #कानपुर #भारतवर्ष 
#BuddhaPurnima
सर्द हवा और लहराते सरसों के खेत ,
अरे!  गरीबी में जाने कैसे पलते हैं पेट।

लूट गए हम कि दिन रात होंगे एक,
खुशबू एक है हमारा वतन है एक।

हमें मुकद्दस ना कर पाया गंगा का भी अभिषेक
नाम के रखवाले चेहरे के दिल में है भारी खोट।

आजाद नही हैं और ना ही अभी लब हैं एक,
सदियों से भारत दे विश्व को बुद्ध का शांति सन्देश।

©Siddharth kushwaha #world #बुद्ध_के_विचार #शांति #कानपुर #भारतवर्ष 
#BuddhaPurnima