मुझपे भी लोग आजकल, कुछ ताने यूँ कसते हैं, के हैं हम थोड़े ढीट, किसी की बातें न समझते हैं, अब कौन जा के समझाए उन बुद्धिमानों को, राजा हैं हम दिल के ,जो दिल में आये वो करते हैं। 40