एक सोच कुछ लिखने से पहले लगता हैं कुछ सोचू पर क्या दरिंदों की करतूते मालूम होने पर मन करता है उनका मुँह नोचू समाज मे सीना तान कर जीते है ये दरिंदे ऐसी सोच के कारण ही नही दिखते है परिंदे लड़कियों के पैरों मे लगा दी जाती हैं बेड़िया क्या अब समाज मे सिर उठा के भी नही रह सकती हैं हमारी छोरियां आखिर कब तक एक लड़की को लड़की होने की सजा मिलेगी न जाने कब ये सोच बदलेगी जाने कब से घात लगाये बैठे हैं ये दरिंदे ऐसी सोच के कारण ही नहीं दिखते हैं परिंदे #ek soch