गुमसुम है हालातो की साज,और बिखर रही है हिम्मत की आवाज़ टूट गए जो सही से जुड़ भी ना पाए हार गए क्युकी लड़ भी ना पाए यू वक़्त बना नासूर है वो मेरा अंधेरा निकला जिसको समझा कि वो नूर है दर दर क्या अब सिर को झुकाए क्यों ना अब खुद से ही प्रीत निभाए भरोसा चाहे अब कितना ही हाथ बड़ाए छोड़ आऊंगा उन सब को पीछे बिना ठोकर खाए #We_are_all_broken #sad #poem #ghumsum #broken #heart