उस नामुराद इश्क़ की गलियों से फिर गुजरने लगे हैं, ना चाहते हुए भी ऐतबार, हम किसी पर करने लगे हैं। जानते हैं कि मंज़िल नहीं मिलेगी, सिर्फ़ तबाही होगी, पर इस कमबख्त दिल की ज़िद के आगे, हम झुकने लगे हैं। जज़्बातों को दफ़न कर, जीना सीख लिया था हमने, पर देख उसकी मुस्कुराहट, ये जज़्बात फिर उमड़ने लगे हैं। सोचा था फिर कभी क़दम न रखेंगे उस तिलस्मी कूचे में, पर करें भी तो क्या, उसकी शोखियां हमें बेहद लुभाने लगे हैं। ज़ेहन में अब भी ज़िंदा है, इश्क़ की तबाही का वो ख़ौफनाक मंज़ंर, इसलिए इन नासमझ धड़कनों को अभी से ही हम दफनाने लगे हैं।। #इश़्क #yqhindi #yqurdu #lovehurts #smghazal #nazm #lovepoetry #forAhi