मेरी हमसफ़र भी तू , हमनवा भी तू ही मेरी मंजिल भी तू , रास्ता भी तू ही मेरी हमकदम भी तू , हमराज भी तू ही । ( Full Poem Read In Caption) मेरी हमसफ़र भी तू , हमनवा भी तू ही मेरी मंजिल भी तू , रास्ता भी तू ही मेरी हमकदम भी तू , हमराज भी तू ही । मुझे गिराया भी तूने और फिर संभाला भी तुने ही।। कभी मांझी बन साहिल तक पहुंचाया तूने ही , तो कभी शिक्षक बन सिखाया भी तूने ही ।