मैं वेद लिखूं या पुराण लिखूं, या कोई मस्जिद का कुरान की बात लिखूं..! जो बीत गया वो बात लिखूं या बीत रहे जो हालात है वो जज्बात लिखूं.. खुशियों बिन कैसे जीता हूं, मैं जिंदगी अपनी वो औकात लिखूं..! जो छोड़ गये उनकी वो याद लिखूं या जो आऐंगे कभी खुद को उनसे दुर लिखूं होके नभ से दुर किसी चमकते हुए तारे का मैं दर्द लिखूं जिनके यादों के सहारे रो रो कर गुजारें है कई रात उन यादों की बारात लिखूं..! दिल ने जो खोया या पाया, मैं जीत उसे या मात लिखूं..! जो खुशी मिली है अपनों से, मैं आज वही सौगात लिखूं..! अब इस मन में जो सुख दुख है, मै उसका ही अनुपात लिखूं..!! मैं तुमको coffee और खुद को चाय लिखूं ❣️ ©wríêr ãbhïßhêk æñæñd वेद लिखूं या पुराण लिखूं........ #Winter