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आप बहुत याद आती है माँ ज़ब मैं अंदर ही अंदर घुट रह

आप बहुत याद आती है माँ 
ज़ब मैं अंदर ही अंदर घुट रही होती हूँ
गिरते गिरते ख़ुद ही उठ रही होती हूँ
आप बहुत याद आती हैं माँ
ज़ब एक दिन भी रसोई से आजाद नहीं होती
कई कई दिन बंद आँखों से भी नहीं सोती
आप बहुत याद आती हैं माँ
ज़ब बीमारी में भी आराम नहीं मिलता
करती ही क्या हो..किसी को मेरा काम ही नहीं दिखता
आप बहुत याद आती हैं माँ
ज़ब मायके की याद सताती है
आप अब नहीं हैं ये बार बार जताती है
आप बहुत याद आती हैं माँ
ज़ब हर कोई मुझे नगण्य समझता है
वजूद मेरा ख़ुद से डरता है
आप बहुत याद आती हैं माँ
ज़ब भीड़ में होती हूँ
अपने परायों के बीच हर रोज़ खोती हूँ
आप बहुत याद आती हैं माँ
ज़ब मेरी लाडो को मुझसे ज्यादा
कोई प्यार करने वाला नहीं होता
इस दर्द में मन हर वक्त है रोता
आप बहुत याद आती हैं माँ
""ज़ब सब बड़ी बड़ी कहकर बुलाते हैं
कर्तव्यों का ग्रन्थ और अधिकारों की रेत थमा जाते हैं""
आप बहुत याद आती हैं माँ
ज़ब हर जगह परायी होती हूँ
अपनों में अपने लिए समायी होती हूँ
आप बहुत याद आती हैं माँ
ज़ब आपकी छवि कहकर सब पुकारते हैं
फिर से आँखें नम कर जाते हैं
आप बहुत याद आती हैं माँ
आप बहुत याद आती हैं माँ.....


    सारिका....

©Sarika Joshi Nautiyal
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आप बहूत याद आती हैं माँ 😔#MOTHER'SDAYSPECIAL #yadonkeditboxse #nojohindi #poem #Poet #Hindi #Sarikapoetries #Sarika_Joshi_Nautiyal

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