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इत्तेफाक से तो नहीं टकराए थे हम दोनों, कुछ साजिशे

इत्तेफाक से तो 
नहीं टकराए थे हम दोनों,
कुछ साजिशें तो ख़ुदा की भी रही होगी।
क्या था किस्मत का लिखा जो इतना 
नज़दीक होकर भी दूरियां आ गई,
कुछ नाराज़गी तो हमसे भी रही होगी।
सोचते हैं कि अब क्या कहेंगे जो अगर 
पूछ लिया कभी की कैसी हो इस सवाल 
के जवाब से शायद तुम्हे भी तकलीफ होगी।
इस कदर तड़पते है तुम्हारे उसी साथ के 
लिए,जानकार भी वो वक्त अब वापिस 
नही आएगा,इस दिल मे फिर भी 
इस बात की खलिश होगी। क्या मज़बूरियाँ?, कैसी ये दूरियाँ?
दिल ये समझे ना
होते है प्यार में ऐसे भी इंतेहाँ?

असल में तुम नही हो मेरे,
तुम नही हो मेरे,
तुम नही हो मेरे.. नही हो मेरे...🖤🖤🎼🎼
इत्तेफाक से तो 
नहीं टकराए थे हम दोनों,
कुछ साजिशें तो ख़ुदा की भी रही होगी।
क्या था किस्मत का लिखा जो इतना 
नज़दीक होकर भी दूरियां आ गई,
कुछ नाराज़गी तो हमसे भी रही होगी।
सोचते हैं कि अब क्या कहेंगे जो अगर 
पूछ लिया कभी की कैसी हो इस सवाल 
के जवाब से शायद तुम्हे भी तकलीफ होगी।
इस कदर तड़पते है तुम्हारे उसी साथ के 
लिए,जानकार भी वो वक्त अब वापिस 
नही आएगा,इस दिल मे फिर भी 
इस बात की खलिश होगी। क्या मज़बूरियाँ?, कैसी ये दूरियाँ?
दिल ये समझे ना
होते है प्यार में ऐसे भी इंतेहाँ?

असल में तुम नही हो मेरे,
तुम नही हो मेरे,
तुम नही हो मेरे.. नही हो मेरे...🖤🖤🎼🎼