हर तरह के भगवान बंद है अपनी अपनी दुकानों में।। सुनसान है सड़के नेता बंद है आशियानों में।। हर मुल्क ने छेड़ी जंग हैं।। अपने को भगवान कहने वाले बंद हैं मकानों में।। फिर भी क्यू ना समझे हम , कुदरत से आज भी क्यू बैर है।।अरे सच तो ये झूठ बंद है हमारी जबानो में।। छुपा दी गई सच्चाई इन फरेब की दीवारों में।। ताकत थी जिनके पास वो बैठे है अपने बसेरों में।। अरे आम आदमी तो आज भी किनारे बैठा करता इंतजार है।। अब भी ना समझे तुम की भूख के आगे हर मज़हब लाचार हैं। जो रोटी ना दे सके वो भगवान बेकार हैं।। जहां छुप गई बड़ी बड़ी हस्तियां अपने अपने घरों में वहां आम आदमी तो आज भी लड़ने को तैयार हैं।। अनुष्का ढाका।। # bhook