White मैं बचपन बोल रहा हूँ !मैं ख़ुद को खोज रहा हूँ मैं देखा गया था कभी, हर शख़्स में,बच्चों और बूढ़ों में,, पर अब नही मिलता किसी भी उम्र में- अब ख़ुद को पाना चाहता हूँ बचपना क्या होता है , दुनिया को बताना चाहता हूँ,, हाँ !मैं बचपन और बचपना ढूँढना चाहता हूँ याद है! वो ज़माना,जब tv नही आया था, और मोबाइल internet,लैप्टॉप कुछ भी नही था,, तब मैं हर जगह बिखरा पड़ा था- गिल्ली डंडे में,कँचे में,पतंग माँझे में, रस्सा कूद,खो खो ओर छुपम छुपाई में, धप्पा करने में,, और तो और साइकिल के पंचर टायर में भी,,, पर अब मुझे ढूँढना पढ़ता है,कभी प्ले ग्राउंड में,कभी किसी, ऐक्टिविटी क्लास में- मैं अपने पूर्ण रूप में -खिलखिलाते हुए फिर भी नही मिलता,, बड़े लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षा के बीच में दब गया हूँ,, ये काम धंधे निगल गये है मुझे मैं डूबता जा रहा हूँ बड़े लोगों की ख़्वाहिशों के सागर में,, बचा लो मुझे!मैं आप के बच्चों में , आप मे ,ज़िंदा रहना चाहता हूँ,, बचा लो मुझे!गले लगा लो मुझे.. ©Andy Mann #बचपन अदनासा-