तुझसा ज़बीं ज़िंदादिल ज़िन्दगी फ़साना क्या हो गया खूब! रूठी हुई ज़िन्दगी से हँसकर निभाना क्या होगा दरम्याँ कशिश रूहे जहाँ फिर आना-जाना क्या होगा सुर्ख़ आरिज़ शाइस्ता शाम चाँद फिर दीवाना क्या होगा दीवारों में क़ैद हसरते जहाँ मिलना मिलाना क्या होगा दोस्तों! अकेली चाय का गुल शामियाना क्या होना क़ायनात का हश्रे खूँ है ये फिर आबो दाना क्या होगा मुद्दतों बाद घर लौटें हैं लोग जाने फिर ठिकाना क्या होगा थम जाएँगी ये नादानियाँ दिल दिल से धड़केंगे यहाँ? याकि हम चले जहाँ से थे वहीं लौट आना क्या होगा क़ुदरत की अदालत की नज़र माफीनामा क्या होगा माँ है कि मान भी जाएगी! इंसानियत पैमाना क्या होगा #toyou #yealovers #yqhumanity #yqnature #yqreflections #yqlove