अरे ये जो दिमाग मे भरा हुआ मेमोरी वाला पन्ना है ना उसे फाड़ कर फेंक देने में ही भलाई है। क्योंकि उसमें लिखे को मिटाना भी मुश्किल है और भरे पन्ने में कुछ नया लिख पाना भी उससे भी ज्यादा मुश्किल । ये रोज रोज का ऑनलाइन आ कर रिप्लाई न देने से परेशान होने वाले बाबू सोना हम नही है। हमे जितनी देर तुम्हे मनाने में लगता है उससे कही कम नया रिश्ता बनाने में लगता है। अरे वो महबूब नखरें खूबसूरती के हम तभी उठाते है जब किसी चेहरे पर नजर टिकाते है। Novel