गुरु चरणों में स्वर्ग कहतें हैं चन्द लकीरों में , होती एक भाग्य की रेखा है । पर बिन हाथों के भी कइयों को, गगन चूमते देखा है । पत्थर को भी सोना करदे, वह गुरु का तेज ही होता है । अर्जुन एक महान धनुर्धर, गुरु द्रोण का चेला था । कर समर्पित अँगूठा गुरु को, एकलव्य बना अनूठा था ।। गोकुल के एक ग्वाले को, युग-पुरुष बनाने वाले थे । चौंसठ कलाओं का ज्ञान, चौंसठ दिनों में देकर, कृष्ण को भगवान बनाने वाले थे । किया चमत्कृत भारत भूमि को,गुरु संदीपनी आवंतिपुर वाले थे ।। धर्म और विश्वास का साथ, न कभी कौटिल्य ने छोड़ा था, बालक एक अनाथ था चंद्रा, जब तक गुरु से अनदेखा था । बना सरताज अखंड भारत का , न कभी किसी ने सोचा था । बना सिकंदर विश्व विजेता, नहीं कोई अलबेला था । महकाया अरस्तु की महिमा, बन बैठा बनबेला था । रामकृष्ण की भक्ति पाकर, नरेन्द्र विवेकानन्द हुए,। बना विश्व गुरू भारत, जो स्वप्न हम सबने देखा था ।। रमाकान्त से सीख मिला , सचिन, बल्लेबाज महान बनें । जीते जी धरती पर वह, क्रिकेटके भगवान बनें ।। कहतें हैं हरि भजन, पट मोक्ष का खोल देता है । हमें मोक्ष की क्या चिंता, हमने तो गुरु चरणों में ही स्वर्ग देखा है ।। #SNM Ki Kalam se.... #Gurupurnima गुरु चरणों में स्वर्ग