तू श्रावण की बारिश जैसी है । मैं बैशाख का कड़ी धूप तू बारिश की बून्द मैं समन्द्र का लहर तू सुबह की किरणें मैं ढलता शाम तू खिलती कली के जैसी मैं मुर्झाया फूल तू लहराती ठण्डी हवा के जैसी मैं फ़ागुन का अनसुना हवा तू चाँदनी के जैसी नर्म मैं सूरज के जैसा गर्म तू महलो की रानी मैं झोपड़ियों का राजा ______sorry______ ©Kumar vishal rawat तू महलो की रानी