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भीड़ में भी अकेले हो ,छाई कोई तन्हाई हो जैसे वीराने

भीड़ में भी अकेले हो ,छाई कोई तन्हाई हो जैसे
वीराने में मुस्काते हो,अंदर बज रही कोई शहनाई हो जैसे

हवा में ये मधुर संगीत ,घुला सा है जाने क्यूँ आज
दूर कहीं,किसी खेत मे,कोई फ़सल लहराई हो जैसे

रूह मेरी, मुझसे आज जुदा हो रही है ऐसे
लगता है अगले पल में ,बिटिया की विदाई हो जैसे

तारीखों के खेल ,इल्जामों के ये सिलसिले
तुमसे मिलकर यूँ लगा,मुक़दमे की कोई सुनवाई हो जैसे

इस अधूरेपन में, मुकम्मल होने का ये कैसा अहसास है
किसी बंज़र ज़मीं में,बारिश की पहली पुरवाई हो जैसे

ये फिकरें,ये परवाह , ये हिफ़ाज़ती का  आलम
जीवन भर की ये कोई, कमाई हो जैसे

सामने होकर भी,लब्ज़ पहुँच ना सके उस तक
दरमियाँ दोनों के बीच, कोई ग़हरी खाई हो जैसे

बरसो बाद वापस लौटा, बूढ़ी आंखे पहचान ना सकी
चौखट पे तमाम उम्र.. इंतज़ार में बिताई हो जैसे

@विकास

©Vikas sharma
  #Wochaand शहनाई
vickysharma3971

Vikas sharma

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#Wochaand शहनाई #लव

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