कतल की योजना मेरे उठते जनाजे में कई बार ये सवाल आया है, कि योजना मेरे कतल की क्या अपनों ने बनाया है। मैं मजे में था और रूहानी खुशी से भरपूर था, क्या होती है खलाए मैं मासूम अभी इनसे दूर था, मेरे खुशियों को जाने किस से मैंने नजर लगवाया है, की अपने लहू में सने मैंने हाथ अपनों का पाया है। दोस्ती का ये नायाब सिलसिला मिला है, मतलब परस्त ही अब बागान खिला है, हमें गैरों में भी अपना ही मकान नजर आता है, पर अपनों को अपना बनाने का हुनर हमें नहीं आता है। हमारी हुनर बस इतनी सी है कि हम चुप हो जाते है, और बिन बोले ही सब कुछ समझ जाते है, मुझे अशांत मन दूसरों का बुलाता हैं, पर खुद को कैसे शांत करे समझ नहीं आता है। हज़ार टुकड़े मेरे हुए और लहू ने सवाल उठाया है, मेरे अपने लहू को क्या अपनों ने बहाया है। कतल की योजना #yqdidi #yqbaba #yqkatl