क्यूँ गुमसुम से बैठे हो, तुम्हारी आँखों में ख्वाब किसका है। किसी ने कुछ कहा तुम्हें, बताओ मुझे वो जबाब किसका है। मैं देख नहीं सकता इस खूबसूरत से चेहरे पे गम का पर्दा। मुस्कुराहट को छीनने वाला, मायूसी का नक़ाब किसका है। मैं जिसे पढ़ ना सका, तुम्हारी पलकों की ओट से कभी। वो गम की दास्ताँ, आँखों मे आँसुओं का सैलाब किसका है। मैं उम्र भर तरसता रहा, तुझे तोहफे में एक फूल देने को। ये जो तेरे बालों में लगा है, आखिर वो गुलाब किसका है। मैं आज भी इंतजार में हूँ, कि कब इत्मिनान से तेरा दीदार हो। हाल तो समझ मेरा और बता, ये नूर-ए-आफताब किसका है। ♥️ Challenge-525 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।