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मैंने मांगी थी खुशी वो भी एक पल के लिए हा मगर आंसू

मैंने मांगी थी खुशी वो भी एक पल के लिए
हा मगर आंसू मयस्सर किए तुमने उम्र भर के लिए

तमाम रौशनी अंधेरों में यू तब्दील हुई
उजाला मिल न सका मुझको एक पल के लिए

जो रंग सजाना था मैंने तेरे चेहरे पर
पता है कितनी मिन्नते की तितलियों से उस रंग के लिए

अंधेरी रात में सिर्फ तेरा चेहरा देखू
रौशनी चांद से लाया था मैं कुछ पल के लिए

बस तेरी याद में हर वक्त दिल रोता है 
कुछ तो आसानी कर मेरे इस दिल के लिए

न तबीब न दवाइयो की मुझे जरूरत थी
बस तेरी छुअन चाहिए थी मुझे मेरे इस बदन के लिए

मैने फूल के साथ तुझे भी मांगा था
सिर्फ फूल नही मांगा था किताबो में बस दफन के लिए

©Shoheb alam shayar jaipuri
  #moonnight