लहू में आग लगी तो क्या कहिये, आँसुओं में आस जगी तो क्या कहिये। मैकदे का निज़ाम आज बराबर है, चलिए उठिए, अब कल का इंतेज़ाम कीजिये।। सिद्धार्थ #अभिलाषा