'जागो ग्राहक जागो' (केवल सतर्कता) अब बैठकें होंगी और पैना पन आयेगा चुहे जो छिप कर बैठे थे दातें दिखा रहे हैं अस्तित्व पर प्रशन है उदाहरन जबर्दस्त है इस लिए बील से निकलना पडा है पर अपनी भ्रष्ट विद्वता के साथ ! मुड -मुड कर देखने से ठोकर ही ठोकर है संभलते तो दिखे ही नहीं फिसलन में छोड़ देते हैं गिरते हुये बढना अब पसंद नहीं पर आदत चल पड़ी है ! #विषमता