कैसे तुम्हें चाहने की हद बताऊं मैं? मतलब दो जहाँ की सरहद बताऊँ मैं? तुम्हारी खुबियों को गीन नही पाया हूँ और कैसे तुम्हारी सिफ़त बताऊँ मैं? मेरा दिल,मेरी रूह,मेरी जान ले चुके हो। कहाँ-कहाँ है तुम्हारी मिल्कियत बताऊं मैं? ये जो सारे लोग है बुरा मान कर बैठ जाएंगे। अगर इस सियासत को सियासत बताऊँ मैं। तुम ज़ार-ज़ार होकर रोने को मजबूर हो जाओगे। अगर अपनी इस ज़िंदगी की हकीकत बताऊँ मैं। कैसे तुम्हें चाहने की हद बताऊं मैं? मतलब दो जहाँ की सरहद बताऊँ मैं? तुम्हारी खुबियों को गीन नही पाया हूँ और कैसे तुम्हारी सिफ़त बताऊँ मैं? मेरा दिल,मेरी रूह,मेरी जान ले चुके हो। कहाँ-कहाँ है तुम्हारी मिल्कियत बताऊं मैं?