दंगों की आग में शहर जल रहा था! देख के इसको दिल दहल रहा था !! नफरत के नुमाइंदों देश को तोड़ने वाले! अपने ही देश में जहर घोल रहा था!! अपने ही शहर को जलाकर ये दंगाई! खुद का ही नुकसान कर रहा था!! खौफ इसका पूरे देश को सक्ते में ला दिया! भाईचारे का मानो शक्ल ही खो रहा है!! ©Yadav Ravi भाई चारे का मानो शक्ल ही खो रहा है🙏