याद है वो दिन जब तुम्हारी एक काॅपी लाईब्रेरी में छूट गई थी, फिर वो दुबारा तुम्हें मिली नहीं । कुछ एक दिन तुम बहुत परेशान भी रहीं, अब पूरे तीन महीने दस दिन बाद तुम्हारी काॅपी इस छोटे बच्चे के हाथों तुमको वापस भेज रहा हूं, सामने से तुमको रोक कर काॅपी लौटा देने का साहस मुझमें नहीं, शायद तुम मुझपर बिफर पड़ो पर यकीन मानो अगर आने वाले इम्तिहान की मजबूरी ना होती तो यह काॅपी मैं तुमको कभी ना लौटाता, तुम्हारा लिखा अपने पास रख लेने के मोह से उबरने में मुझे तीन महीने लग गए हैं और मैं ये भी नहीं चाहता कि इम्तिहान में तुम्हारा नुकसान हो, इसलिए मजबूरन काॅपी लौटा रहा हूं । इस बच्चे से मेरी पहचान जानने का प्रयास मत करना, वो नहीं बताएगा, तुम बस इतना जानों कि मैं तुम्हारा सहपाठी हूं और रोज हम एकसाथ एक ही क्लास में एक ही लेक्चर एटेंड कर रहे होते हैं, यह चिट्ठी टाईपराईटर पर लिखने के लिए माफ़ी, हाथ से लिखता तो पहचाना जाता, अंत में, तुम्हारी काॅपी रख लेने के लिए रोष ना रखना । ख़ुश रहो हमेशा। विदा ©Sadanand Kumar #Love #lovequotes #you #Memories #memory #Nojotoimageprompt #LoveStory #Trending #Sadanand_Kumar