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नकाबपोसो की भीड़ से । बेहतर खुद में बसा अकेलापन है

नकाबपोसो की भीड़ से ।
बेहतर खुद में बसा अकेलापन है।।
वो भीड़ में दगा देते है !
लेकिन वो जो खुद में बसा हैं  
उसका पागलपन क्या कम है?
बेहतर है हर भीड़ से ,आईने में दिखता 
वो तुम्हारा चेहरा ,
कम से कम हर मोड़ पे वो तुम्हारे संग तो है।
तुम कर सकते हो , हा तुम लड़ सकते हो ।।
लेकिन भीड़ के सहारे नहीं!
अपने अंदर बसे उस जज़्बात के सहारे ।
जो हर वक्त संग है ।।
कभी जो परछाई है ।
कभी तुममें बसी वो गहराई है।।
जो हर पल तेरे संग है....

©Ahsas Alfazo ke own company
#owncompany 
#akelapan 
#Travelstories 
Priya dubey Jugal Kisओर Mishty Jha Internet Jockey Amita Tiwari
नकाबपोसो की भीड़ से ।
बेहतर खुद में बसा अकेलापन है।।
वो भीड़ में दगा देते है !
लेकिन वो जो खुद में बसा हैं  
उसका पागलपन क्या कम है?
बेहतर है हर भीड़ से ,आईने में दिखता 
वो तुम्हारा चेहरा ,
कम से कम हर मोड़ पे वो तुम्हारे संग तो है।
तुम कर सकते हो , हा तुम लड़ सकते हो ।।
लेकिन भीड़ के सहारे नहीं!
अपने अंदर बसे उस जज़्बात के सहारे ।
जो हर वक्त संग है ।।
कभी जो परछाई है ।
कभी तुममें बसी वो गहराई है।।
जो हर पल तेरे संग है....

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Priya dubey Jugal Kisओर Mishty Jha Internet Jockey Amita Tiwari