मूंदी पलकों में आपका अक्स, अधरों पर उभरी मुस्कान है... पल्लू बन कर लिपटी तन से, पूर्णतया अवलोकित सम्मान है! सुकून से लटें जो ठहरीं बंधी, कानों के पीछे कुछ गाती हैं, लाल चुड़ियों में खनकता... स्नेह निवेदन का प्रस्ताव है! रौनक सी बिखर लौटती रौशनी.. गई उजागर करने पथ आपके, हवा छू कर छेड़ती निकलती... अभिमंत्रित करती एक नाम है! दोनों भौहों के बीच केंद्रित, और थोड़ा अधरों पर बिखरी शान है! ये नैन-नक्श़, ये भाव-भंगिमा, उफ्फ़.. ठंडक बरसाता ख़्वाब है! मूंदी पलकों में आपका अक्स, अधरों पर उभरी मुस्कान है... पल्लू बन कर लिपटी तन से, पूर्णतया अवलोकित सम्मान है! सुकून से लटें जो ठहरीं बंधी, कानों के पीछे कुछ गाती हैं,