ऑंखों की हरकत पे मन बड़बड़ाता हैं न जाने ये कैसे कैसे ख़्वाब देखता हैं रोकता है टोकता हैं पैर पटकता हैं ये आँखें हैं न मन की कहाँ सुनता हैं ये सिलसिला हैं रोज यू ही चलता हैं बेख़बर हैं होशोहवास में कहाँ रहता है 🍁राकेश तिवारी🍁 OPEN FOR COLLAB✨ #ATeyeleafbg • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.